राम मंदिर का उद्घाटन 5 अगस्त 2020 को हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर की नींव रखी थी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा, कई प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक नेता उपस्थित थे यह दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ था, क्योंकि इस दिन के साथ ही लगभग 500 वर्षों से चल रहे राम मंदिर के निर्माण विवाद का अंत हुआ भूमि पूजन के इस कार्यक्रम में रामलला के विग्रह की पूजा, हवन और मंत्रोच्चारण के बीच अयोध्या में एक नई उम्मीद का सूरज उगा.
इस वर्ष राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का पहला वर्षगांठ है जो की 11 जनवरी को मनाई जा रही है क्योंकि सनातन धर्म में अंग्रेजी तारीख नहीं बल्कि तिथि के अनुसार चलते हैं इसलिए 22 जनवरी को न मनाकर 11 जनवरी को मनाया जा रहा है.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में आयोजित किया गया इस दिन, रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसमें विशेष पूजा अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान किए गए इस आयोजन में संत-महात्माओं, पुजारियों और धर्मगुरुओं ने भाग लिया और भगवान राम के स्वरूप की स्थापना के बाद मंदिर में भक्तों के दर्शन के लिए द्वार खोल दिए गए इस दिन को लेकर देशभर के हिन्दू धर्मावलंबी अयोध्या पहुंचे थे, ताकि वे इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बन सकें.
राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाया गया था , फिर 1980 के दशक में बाबरी मस्जिद को हटाकर पुनः मंदिर स्थापना की मांग हुई और संवेदनशील मुद्दा बन गया था हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को ऐतिहासिक निर्णय देते हुए राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिससे मंदिर निर्माण की दिशा में रास्ता साफ हुआ इस फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्य तेजी से शुरू हुआ और 2020 में भूमि पूजन के बाद, मंदिर का निर्माण कार्य और भी तेज़ हो गया.
राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है यह भारतीय समाज के एकता और विविधता को दर्शाता है, और राम के आदर्शों को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.