हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसार, पृथ्वी की उत्पत्ति और उसके विकास के बारे में कई महत्वपूर्ण तथ्य हैं ,वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी लगभग 4.5 अरब साल पहले बनी थी इस समय ग्रहों का निर्माण एक गैस और धूल के बादल से हुआ था जिसे सौर नेबुला कहा जाता है.
प्रारंभिक पृथ्वी पर बहुत सारी गतिविधियाँ थीं, जैसे ज्वालामुखीय विस्फोट और धातु और खनिजों का निर्माण इसके साथ ही जलवायु में भी परिवर्तन हो रहा था शोधकर्ताओं का मानना है कि लगभग 3 अरब साल पहले, पृथ्वी के सतह पर पानी की बड़ी मात्रा मौजूद थी यह पानी महासागरों के रूप में था, जो जीवन के विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता था.
तीन अरब साल पहले पृथ्वी पर केवल पानी ही पानी था लेकिन धीरे-धीरे प्राकृतिक गतिविधियां से प्लेट हिली और उभार बनकर ऊपर उठने लगा आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तीन अरब साल पहले जो उभार बनकर पृथ्वी का हिस्सा बाहर निकला वो भारत में है और उस जगह का नाम झारखंड है.
इस समय पानी के स्रोतों के कारण विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवों का विकास हुआ जो आगे चलकर जटिल जीवन के विकास का आधार बने वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि पृथ्वी की सतह पर पानी का होना जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक था.
यह शोध विभिन्न भूविज्ञान, खगोल विज्ञान और जीवविज्ञान के अध्ययन पर आधारित है जो बताता है कि पानी ने पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.